Reg No. 1180/2018 (Govt of H.P.)

कृषि एवं बागवानी

"मेरे देश की धरती सोना उगले, उगले हीरे मोती..."श्री महेन्द्र कपूर जी का गाया व श्री प्रेमधवन का लिखा ये गीत मां भारती की माटी की महक की सच्चाई ब्यान करता है, मगर हमने इस सच्चाई को अस्वीकार कर दिया है। भारत की उपजाऊ धरती धनधान्यपूर्ण भूमि होने के बावज़ूद भी भारत का मध्यम किसान हमेशा गरीब ही रहा है और अब भी न जगे तो आने वाली पीढ़ी शायद इसे गरीब ही देखेगी। लाखों-करोड़ो की कृषि भूमि होने के बावजूद भी हमने कई किसानों को पाई-पाई को तरसते देखा है। सीमांत और लघु किसानों को स्वावलम्बी बनाने के लिए उन्हें विशेष प्रशिक्षण देने, नई तकनीक सिखाने और संगठित होने की आवश्यता है। इसी आशय की पूर्ति के लिए ‘हम’ एनजीओ एक विशेष परियोजना ‘किसान मित्र’ लेकर हर पंचायत में किसान क्लब का गठन कर रही है। आइए इस योजना की संशिप्त जानकारी पर आप भी नजर डालें...अगर आप भी किसान हैं तो हमारी इस मुहिम का हिस्सा बनिए और दूसरों को भी जोड़िए।

कृषि हिमाचल प्रदेश के लोगों का प्रमुख व्‍यवसाय है। यह राज्‍य की अर्थव्‍यवस्‍था में महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह 69 प्रतिशत कामकाजी आबादी को सीधा रोजगार मुहैया कराती है। कृषि और उससे संबंधित क्षेत्र से होने वाली आय प्रदेश के कुल घरेलू उत्‍पाद का 22.1 प्रतिशत है। कुल भौगोलिक क्षेत्र 55.673 लाख हेक्‍टेयर में से 9.79 लाख हेक्‍टेयर भूमि के स्‍वामी 9.14 लाख किसान हैं। मंझोले और छोटे किसानो के पास कुल भूमि का 86.4 प्रतिशत भाग है। राज्‍य में कृषि भूमि केवल 10.4 प्रतिशत है। लगभग 80 प्रतिशत क्षेत्र वर्षा-सिंचित है और किसान इंद्र देवता पर निर्भर रहते हैं।

किसानों की खुशहाली तथा सामाजिक व आर्थिक उत्थान के लिए सरकारी स्तर पर किसानों व बागवानों की खेतीबाड़ी संबंधी सभी जरूरतों को पूरा करने के लिए कई योजनाएं चलाई है। जैसे बीज, दवाइयां, छोटे उपकरण, बाड़बंदी, टैंक बनवाने, पॉलीहाउस लगवाने, विद्युत बोर्ड लगवाने, सूक्ष्म सिंचाई योजना, ट्रैक्टर व पावर टिलर आदि के लिए विशेष अनुदान दिया जा रहा है। लेकिन इन योजनाओं का लाभ सीमांत और लघु किसान नहीं ले पाते।

उद्देश्य : इस कार्यक्रम के अंर्तगत प्रथम चरण में राज्य की सभी पंचायतों के लगभग 3 लाख किसानों को लाभ पहुंचाना है। इसमें सभी कृषि जलवायु क्षेत्रों को जोड़ा जाएगा। कार्यक्रम का उद्देश्य हैं कि प्रकृति के साथ सामंजस्य बनाकर मिश्रित खेती को बढ़ावा देना, खेती की लागत को कम करना और खेती को एक स्थायी व्यवहारिक आजीविका विकल्प बनाना, मिट्टी की उर्वरता, सांध्रता, पानी के रिसाव को बनाए रखना और मिट्टी के सूक्ष्म जीवों और वनस्पति में सुधार करना, पर्यावरण और भू-जल प्रदूषण को कम करना, प्राकृतिक खेती के बारे में कृषि समुदाय और समाज के बीच जागरूकता पैदा करना कृषि की नवीन व अधिक उत्पादन की तकनीकि व कृषि व कृषि से सम्बंधित अन्य विभागों की योजनाओं का किसानों तक विस्तार करना या उनको इसकी जानकारी देना है। सभी सरकारी योजनाओं की जानकारी आपको घर बैठे दी जाएगी और इन योजनाओं को स्थापित करने में आपकी मदद की जाएगी।

किसान मित्र : Human Upliftment Mission (HUM) द्वारा ‘किसान मित्र’ योजना राज्य के किसानों को संगठित, सशक्त एवं सक्षम बनाने के लिए आरंभ की गई है। HUM एनजीओ की इस विशेष योजना के अन्तर्गत प्रदेश के सभी विकास खंड के अन्तर्गत आने वाली सभी ग्राम पंचायत स्तर पर किसान मित्र नियुक्त किए जाएंगे। इस योजना का उद्धेश्य कृषि की नवीन व अधिक उत्पादन की तकनीकि व कृषि व कृषि से सम्बंधित अन्य विभागों की योजनाओं का किसानों तक विस्तार करना या उनको इसकी जानकारी देना है, ताकि वो इन योजनाओं का लाभ ले सके व खेती से अधिकतम लाभ कमा सके। इस योजना के तहत उसी पंचायत के किसान परिवार के स्थानीय निवासी को किसान मित्र बनाया जाता है, जो गांव वालो को गांव में ही रहकर कृषि व कृषि से सम्बंधित जानकारी देता है।

किसान क्लब : HUM NGO किसनों के लिए सेवा प्रदाता (Service Provider) के रूप में कार्य करेगी। हर ग्राम पंचायत स्तर पर किसान क्लब का गठन किया जाएगा। किसान क्लब को कृषि, बागवानी, पशुपालन से सम्बधित सभी जानकारियां और योजनाएं आपके गांव में उपलब्ध करवाई जाएगी। कृषि, बागवानी, पशुपालन से सम्बधित निशुल्क प्रशिक्षण एवं जागरूकता शिविर (Training & Awareness Camp) लगाए जाएंगे। फसलों में लगने वाले रोगों और उनकी रोकथाम के लिए विशेषज्ञों को आपके खेतों तक पहुंचाया जाएगा। सभी सरकारी योजनाओं की जानकारी आपको घर बैठे दी जाएगी और इन योजनाओं को स्थापित करने में आपकी मदद की जाएगी। जब नगदी फसल का रेट कम हो तो उसके वैकलिपक समाधान किए जाएंगे। मनरेगा के तहत भूमि विकास, पशुपालन, कृषि और बागवानी सहित अन्य विकास योजनाओं के तहत कार्यों को जमीनी स्तर पर किया जाएगा।

कृषि-आधारित उद्योग : कृषि-कारोबार पूरी दुनिया में रोजगार और आय पैदा करने का प्रमुख माध्यम है। 10 से अधिक किसान क्लब का एक क्लस्टर बनाया जाएगा जो कृषि-आधारित उद्योग की स्थापना करेगा। कृषि-आधारित उद्योग ग्रामीण इलाकों में रोजगार के साथ-साथ औद्योगिक संस्कृति को बढ़ावा देने में भी मददगार हैं। साथ ही, खाद्य प्रसंस्करण और इससे मिलते-जुलते अन्य उद्योगों में निर्यात जबर्दस्त सम्भावना है। ये उद्योग सहकारिता प्रणाली से संचालित होते हैं। लिहाजा, विकास की प्रक्रिया में ज्यादा से ज्यादा लोगों की सहभागिता सुनिश्चित हो पाती है। संसाधनों और सेवाओं की कमी का सामना करने वाले छोटे और असंगठित किसानों की समस्याओं से निपटने के लिए किसानों के हित में सामूहिक प्रयास छोटे किसानों और बाहरी दुनिया के बीच एक कड़ी बनकर काम करेंगे। इसके जरिए किसानों को न सिर्फ अपनी आवाज उठाने के लिए मंच मिलेगा, बल्कि उन्हें बाजार की उपलब्धता अपनी शर्तों पर समझौता करने की ताकत और बेहतर कीमतें प्राप्त करने जैसी सहूलियतें भी प्राप्त हो जाएगी।

महिला किसानों के सशक्तिकरण हेतु पहल : महिलाएं देश के लगभग हर राज्य में सक्रिय किसानी से जुड़ीं हैं और कई क्षेत्रों में तो वे ही खेती की मुख्य कर्ताधर्ता हैं। कृषि की स्थिति में बेहतरी लाने के लिए किया जाने वाला कोई भी प्रयास दरअसल महिलाओं के सशक्तिकरण को प्रत्यक्ष तौर पर प्रभावित करता है। किसान क्लब में भी 50 फीसदी महिलाओं को शामिल किया जाता है। सौभाग्य से इसे प्रमाणित करने के लिए देश में दर्जनों मॉडल हैं जहाँ कृषि क्षेत्र से महिलाओं के जुड़ाव ने महिला सशक्तिकरण के नए आयाम खोल दिए हैं। इन मॉडलों में स्वयं सहायता समूह मूलभूत ढाँचे की भूमिका निभा रहे हैं।

प्राकृतिक खेती : कृषि एवं बागवानी में बेहतर पैदावार पाने के लिए मंहगे खरपतवारों और कीटनाशकों के प्रयोग से कृषि लागत में बेतहाशा बढोतरी हो रही है। कृषि लागत बढने के साथ किसानों की आय घटती जा रही है। जिसके चलते लाखों किसान खेती-बाड़ी को छोड़कर शहरों की तरफ रोजगार पाने के लिए रूख कर रहे हैं। कृषि-बागवानी में रसायनों और कीटनाशकों का प्रयोग बढने से मानव स्वास्य के साथ पर्यावरण पर भी विपरीत असर पड़ रहा है। किसानों में खेती-बाड़ी के प्रति रूचि को बढाने और कृषि लागत को कम कर उनकी आर्थिक स्थिति को बढाने के लिए प्राकृतिक खेती ‘जीरो बजट नेचुरल फॅार्मिंग’ तकनीक को अपनाना होगा।

प्रशिक्षण : किसानों और किसान मित्रों में क्षमता विकास के लिए विकास खण्ड, जिला और राज्य स्तर पर प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाऐ जा रहें है। इसके लिए अनुमोदित दिशानिर्देशों का पालन किया जाएगा। इसके अतिरिक्त किसानों के लिए प्राकृतिक खेती क्षे़त्रों के भ्रमण कार्यक्रम आयोजित किए जाएगें।